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"मिले न फूल तो ख़ारों को छेड़ सकता हूं ! मैं ज़िन्दगी के सहारों को छेड़ सकता हूं !! नये सिरे से पड़े जान जीते मुर्दों में ; मैं चलते-फिरते मज़ारों ...